‘ ताराचंद बड़जात्या ‘ पिछले 60 वर्षों से फिल्म निर्माण, वितरण और प्रदर्शन के क्षेत्र में सफलता से काम करने वाली ‘ राजेश्री प्रोडक्शन ‘ के पितामह ‘
ताराचंद जी ने अपनी साफ़ सुथरी, घरेलु कहानियों पर फिल्में बनाई जो दर्शको ने बहुत पसंद की
AINS RAIPUR…10 मई को, पिछले 60 वर्षों से फिल्म निर्माण, वितरण और प्रदर्शन के क्षेत्र में सफलता से काम करने वाली ‘ राजेश्री प्रोडक्शन ‘ के पितामह ‘ ताराचंद बड़जात्या ‘ का जन्म दिवस है
आपका जन्म सन् 1914 में हुआ था, आपका फिल्म वितरण का बड़ा व्यवसाय था , उस समय उन्होंने महसुस किया कि दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनने वाली फिल्में अपने क्षेत्र में धूम मचा रही थी , कई प्रतिभावान लेखक , निर्देशक इस कार्य में सक्रिय थे लेकिन वो अपने क्षेत्र तक ही अपनी कला का प्रदर्शन कर पाते थे , ताराचंद जी ने कल्पना की इन दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिन्दी मे बनाया जाये और उन फिल्मो को अखिल भारतीय प्रदर्शन के अवसर मिले , ताराचंद जी ने मद्रास की बड़ी निर्माण कंपनियों के कर्ताधर्ताओं से बात की जिनमें – जैमिनी, प्रसाद प्रोडक्शन, ए वी एम , वासु फिल्म, चित्रालय जैसी कंपनियां शामिल थी
ताराचंद जी की पहल रंग लायी और देश के सिनेमा प्रेमियों को ‘ – चंद्रलेखा , निशान, मंगला , पैगाम, इन्सानियत, आजाद ( दिलीप कुमार) , अमर दीप ( देव आनंद) , शारदा ( राजकपूर) , चोरी चोरी, छोटी बहन , ससुराल, हमराही, जिन्दगी, घराना , गृहस्थी, औरत , मै सुन्दर हुं, दिल एक मंदिर, शतरंज , धरती , छाया , मै चुप रहुंगी, खानदान, मेहरबान , इज्जत, राजकुमार, सच्चाई, सूरज , साथी , राम और श्याम, आदमी , मिलन , खिलौना, जीने की राह , भरोसा , नई रोशनी आदि लंबी लिस्ट है , फिल्में देखने का अवसर मिला
सन् 1962 में ताराचंद बड़जात्या जी ने स्वयं की निर्माण कंपनी ‘ राजेश्री ‘ कंपनी की स्थापना करके
‘ आरती ‘ फिल्म बनाई, इसके बाद लगातार उनकी कंपनी फिल्मों का निर्माण करती रही और आज भी उनके परिजन इस काम में सक्रिय है
ताराचंद जी ने अपनी साफ़ सुथरी, घरेलु कहानियों पर फिल्में बनाई जो दर्शको ने बहुत पसंद की जैसे , दोस्ती , तपस्या, चितचोर , जीवन मृत्यु, उपहार, पिया का घर , सौदागर, गीत गाता चल , दुल्हन वहीं जो पिया बन भाये , अंखियों के झरोखे से , तराना , सावन को आने दो, सारांश आदि
ताराचंद जी ने एक फिल्म ‘ एजेंट विनोद ‘ भी बनाई जो जासूसी चरित्र ‘ जेम्स बांड ‘ से प्रेरित थी ये फिल्म उनकी फिल्मों से अलग टाईप की होने के बावजूद सफल रही
आपने कई प्रतिभावान कलाकारों को पहली बार या बड़ा अवसर देकर उनके कैरियर को बढ़ाने में सहायता की है जैसे – अरूण गोविल, सचिन, रामेश्वरी , सारिका , सलमान खान, लक्ष्मीकांत बेर्डे , रंजीता, अनुपम खेर, माधुरी दीक्षित, संगीतकार राम लक्ष्मण, रवीन्द्र जैन , गायक येसुदास, सुरेश वाडकर, गायिका- हेमलता , कविता कृष्ण मुर्ति, अलका याग्निक आदि
आपने अपनी फिल्मों के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए काम किया है , आपकी फिल्मों के टाईटल हमेशा हिन्दी मे ही होते हैं
आज ताराचंद जी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके पुत्र और पौत्र ‘ राजेश्री ‘ की बागडोर संभालते हुए लगातार फिल्म निर्माण और वितरण के काम में सक्रिय हैं
ताराचंद बड़जात्या जी को विनम्र श्रद्धांजलि