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रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में तब्दील हुआ अंजोरा का वृंदावन गौठान, छत्तीसगढ़ी व्यंजन, पूजा का सामान, मशरूम उत्पादन कर महिलाएं बन रहीं सबल

सपनों को राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना से उड़ान मिली

AINS RAIPUR…आंखों में उम्मीदों के सपने हो और मन में हौसला, तब बड़े से बड़े सपने भी साकार हो जाते हैं। राजनांदगांव जिले के ग्राम अंजोरा के वृंदावन गौठान की मेहनतकश महिलाओं ने भी एक सपना देखा अपने आर्थिक सशक्तिकरण और स्वावलंबन का। उनके सपनों को राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना से उड़ान मिली। 26 एकड़ में फैले वृंदावन गौठान के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में तब्दील होने से वहां काम कर रहे समूह की महिलाओं की कोशिशों ने रफ्तार पकड़ी। यहां महिलाओं के लिए आजीविका वर्क शेड का निर्माण किया गया है। अब ये महिलाएं छत्तीसगढ़ी व्यंजन, पूजा का सामान से लेकर मशरूम उत्पादन कर अपने परिवार का सहारा बन रही हैं।

जिला प्रशासन की मदद से उन्होंने गणेश गुलाल प्राईवेट लिमिटेड से अनुबंध कर गुलाल, चंदन, कुमकुम, अगरबत्ती निर्माण का कार्य व्यापक पैमाने पर प्रारम्भ किया है। यहां आर्डर पर समूह की महिलाएं छत्तीसगढ़ी व्यंजन चीला, भजिया, फरा, गुलगुला भजिया, बड़ा, मुंगोड़ा बना रही हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति का परिचय कराती कलाकृतियों से सजी रसोई में शहरवासियों के लिए कुल्हड़ की चाय और गर्मी से राहत के लिए मिट्टी के थर्मस के ठंडे पानी की भी व्यवस्था है। जय बाबा कुटी समूह की माधुरी, अनिता ने बताया कि वे रसोई को इस तरह से बनाना चाहती हैं, कि यहां शहर के लोग आकर पारिवारिक पार्टी कर सकें।

गौठान में महिलाएं पूजा के लिए गोपीचंदन बनाने, अगरबत्ती निर्माण के साथ पैकेजिंग का कार्य भी सफलतापूर्वक कर रही हैं। समूह की श्रीमती लोकेश्वरी निर्मलकर ने बताया कि यहां काम करने से घर की माली स्थिति में सुधार हुआ है। अब उन्हें कार्य के लिए भटकना नहीं पड़ता। वहीं इससे परिवार के लोग काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि अब महिलाएं अपने काम से विशेष पहचान बनाना चाहती हैं। कई महिलाएं पहली बार घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर काम कर रही हैं। आर्थिक रूप से मजबूत होने से महिलाओं को मान-सम्मान भी मिला हैं जिससे वे खुश हैं। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद कहा है। मेघा यादव ने कहा कि यहां कार्य करने से जीवन स्तर बढ़ा है। अब वे बैंक में राशि जमा कर रही हैं। वहीं श्रीमती शांति साहू ने बताया कि यहां से प्राप्त राशि से उन्होंने अपने छोटे बेटे की शादी की है और घर का खर्च अच्छी तरह से चल रहा है।

गौठान के व्यापक पैमाने पर पपीते की खेती भी की जा रही है। मछली पालन और बतखपालन किया जा रहा है। यहां गोबर से लगभग 55 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। गौठान में साढ़े 10 एकड़ में आम, जाम, नीबू, नारियल, कटहल, मुनगा, काजू के फलदार वृक्ष भी लगाए गए हैं।

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