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जानवरों के लिए भी इजाद हुई कोविड-19 वैक्सीन, जानिए इसमें क्या है खासियत

कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को पशुओं के लिए भारत के पहले कोविड-19 टीके का अनावरण किया।

NEW DELHI: कोरोना वायरस ने अपना कहर सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बरपाया है, बल्कि जानवरों को भी इसने अपनी चपेट में लिया है। लेकिन अब देश में इंसानों के बाद जानवरों के लिए भी कोरोना वैक्सीन तैयार करने की सफलता हासिल की है।

कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को पशुओं के लिए भारत के पहले कोविड-19 टीके का अनावरण किया। यह वैक्सीन एंकोवैक्स हरियाणा के हिसार में स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स द्वारा विकसित की गई है। यह वैक्सीन, SARS-CoV-2 के डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट से जानवरों की रक्षा कर सकता है।

किस तरह काम करती है वैक्सीन

एंकोवैक्स का उपयोग कुत्तों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों में किया जा सकता है। यह एक इनएक्टिवेटिड वैक्सीन है। जो यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक सहायक के रूप में एलहाइड्रोजेल का उपयोग करता है।

यह भारत में विकसित पशुओं के लिए पहला कोविड-19 वैक्सीन है। पिछले साल रूस से ऐसी खबरें आई थीं कि उस देश ने भी कुत्तों, बिल्लियों, मिंक और लोमड़ियों जैसे जानवरों के खिलाफ एक टीका विकसित किया है।

किट को भी किया गया लॉन्च

जानवरों की रक्षा के साथ-साथ परीक्षण के लिए वैक्सीन के अलावा जानवरों के लिए डायग्नोस्टिक किट भी लॉन्च की गई। “CAN-CoV-2 ELISA किट” -एक संवेदनशील और विशिष्ट न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन-आधारित अप्रत्यक्ष एलिसा किट – कुत्तों में SARS-CoV-2 के खिलाफ एंटीबॉडी का पता लगाने में मदद करता है। आईसीएआर के अनुसार, कुत्तों में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए कोई अन्य तुलनीय किट बाजार में उपलब्ध नहीं है।

क्यों पड़ी इसकी जरूरत

भारत में इंसानों के बाद जानवरों के लिए भी वैक्सीन की जरूरत महसूस की गई। दरअसल, पिछले कुछ समय में कुत्तों और बिल्लियों समेत कई जानवरों में कोविड-19 संक्रमण की खबरें आईं। बता दें कि सबसे पहले फरवरी 2020 में हांगकांग में एक कुत्ते में वायरस का टेस्ट पॉजिटिव आया था। इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले चेन्नई स्थित चिड़ियाघर में मृत शेर में कोविड-19 वायरस पाया गया। शेर की मौत के बाद जांच में उसमे कोविड का डेल्टा वैरिएंट पाया गया। जिसके बाद जानवरों के लिए भी वैक्सीन की जरूरत महसूस की गई। यह वैक्सीन ना केवल जानवरों की रक्षा कर सकता है, बल्कि यह साथी जानवरों से मनुष्यों में संचरण को भी रोक सकता है। वहीं, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, जानवरों के मनुष्यों में संक्रमण फैलने का जोखिम कम माना जाता है।

इस वैक्सीन का मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय जानवरों जैसे शेर और बाघ की रक्षा करना है। भारत ने पिछले साल चेन्नई चिड़ियाघर में एशियाई शेरों में कम से कम नौ कोविड संक्रमणों की सूचना मिली थी। जिसके बाद बाघ अभयारण्यों को बंद करने का फैसला किया गया। इसके अलावा, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के एक अध्ययन में जंगली एशियाई शेरों में कम से कम तीन प्राकृतिक कोविड संक्रमण पाए गए, और एक तेंदुआ मृत पाया गया। जांच में वह कोविड -19 पॉजिटिव पाया गया।

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में वन्यजीवों में कोविड-10 के कुछ मामले सामने आए हैं, कुछ चिड़ियाघर से और कुछ पालतू जानवरों में। हालांकि, प्रतिशत के लिहाज से यह बहुत कम है। बता दें कि जानवरों में भी मनुष्यों के समान लक्षण विकसित होते हैं। मसलन, जब जानवर कोरोना संक्रमित होते हैं तो उनमें खांसी, सर्दी, बुखार और फेफड़ों में लक्षण नजर आते हैं। हालांकि, चूंकि यह रोग जूनोटिक है (इसे जानवरों से मनुष्यों में प्रेषित किया जा सकता है), एक वैक्सीन इसमें मदद करेगा।

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