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राज्यसभा चुनाव और कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों में राष्ट्रीय पटल पर उभरे अशोक गहलोत

कांग्रेस के तमाम मोर्चों और कार्यक्रमों में गहलोत की अग्रिम पंक्ति में मौजूदगी ने गहलोत को कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है.

राजस्थान में बीते महीने हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर, राज्यसभा चुनाव और अब राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में चल रहा दिल्ली में आंदोलन, कांग्रेस (congress) की विपक्ष के तौर पर लौटती सक्रियता और सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन में एक नाम तेजी से राष्ट्रीय पटल पर फिर से उभरा है.

जी हां, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

कांग्रेस के तमाम मोर्चों और कार्यक्रमों में गहलोत की अग्रिम पंक्ति में मौजूदगी ने गहलोत को कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है. हाल में राज्यसभा की 4 सीटों पर हुए चुनाव में 3 पर जीत के बाद राजनीति के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत ने आलाकमान (congrss highcommand) का इम्तिहान पास किया था. ऐसे में अब राजस्थान से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों में सीएम गहलोत के सफल रणनीतिक कौशल का गुणगान हो रहा है.

बता दें कि 2018 में राजस्थान की सत्ता में लौटने के बाद गहलोत के सियासी फैसलों का आलाकमान ने कई बार लोहा माना है. वहीं पार्टी में गहलोत का कद बढ़ने के साथ ही वह गांधी परिवार के करीबी विश्वसनीय लोगों में ऊपर पहुंचते जा रहे हैं.

गहलोत पूरी करेंगे अहमद पटेल की कमी !

सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की मृत्यु और कांग्रेस के अंदर विद्रोही ग्रुप G-23 के बीच संगठन में गहलोत सोनिया और राहुल गांधी के फैसलों पर अमल करने के साथ ही गांधी परिवार के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक के रूप में उभरे हैं. वहीं राजस्थान के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे गहलोत ने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है.

उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ राजनीतिक करियर की शुरुआत की और फिर राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में एक मंत्री के रूप में काम किया. वहीं पिछले दो दशकों में, वह सोनिया गांधी के नेतृत्व में गांधी परिवार के साथ निकटता से जुड़े रहे हैं. वर्तमान में गहलोत के समीकरण राहुल और प्रियंका दोनों के साथ अच्छे हैं.

पार्टी को केंद्र की चर्चा में वापस लाना

गौरतलब हो कि पिछले महीने, गहलोत उदयपुर में चिंतन शिविर के मेजबान और मुख्य आयोजक थे जहां आगामी राज्य चुनावों और 2024 में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति तैयार की गई. वहीं राज्यसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी की ईडी से पूछताछ के दौरान लगातार दिल्ली में सक्रियता और अब अग्निपथ योजना के विरोध में कांग्रेस का मोमेंटम तैयार करने में गहलोत मुख्य रणनीतिकार के तौर पर सामने आए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अशोक गहलोत को संगठन में जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है जहां गहलोत के राजनीतिक कौशल को पूरे देश में कांग्रेस इस्तेमाल कर सके.

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