नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) को लेकर महीनों से बनी उहापोह की स्थिति खत्म हो गई है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कोरोना की प्रीकॉशन डोज का काम पूरा होने के बाद नागरिकता कानून के नियम बनाए जाएंगे. गृह मंत्री ने पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी से हुई बातचीत के बाद यह जानकारी दी. अधिकारी ने शाह से मुलाकात के दौरान सीएए को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की थी
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था, और 12 दिसंबर को इसे नोटिफाई कर दिया गया था. लेकिन अभी तक नियम नहीं बना पाने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका है. नागरिकता संशोधन कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी धर्म के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता लेने के हक देता है. इसके तहत भारत में 31 दिसंबर 2014 से पहले आए इन लोगों को साबित करना होगा कि वो अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागकर अपने देशों से आए हैं. और वह उन भाषाओं को बोलते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में है, और वह नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते है
शाहीन बाग में दिखा था लोगों का गुस्सा
नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है. जिसका शुरू से ही विपक्ष विरोध कर रहा है. इस पर दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में मुख्यत: मुस्लिम लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसका असर कमोबेश पूरे देश में देखने को मिला था. मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सरकार सीएए और एनआरसी के बहाने उनकी नागरिकता छीन सकती है. हालांकि, सरकार बार-बार यह कहती रही है कि सीएए नागरिकता देने का कानून है. और किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी