छत्तीसगढ़

सतनाम धरमपुरी है गिरौदपुरी, गिरौदपुरी में 52 करोड़ से अधिक की लागत में कुतुब मीनार से सात मीटर अधिक अर्थात 77 मीटर ऊंचा जैतखम्भ निर्मित है

एक और प्रमुख तीर्थ स्थल 'अमरटापू' मुंगेली -पंडरिया मार्ग पर मोतिमपुर ग्राम में स्थित है

AINS NEWS 24X7….. रायपुर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर बलौदा बाजार के गिरौदपुरी ग्राम में सतनामी सम्प्रदाय के प्रणेता गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसम्बर 1756 को हुआ था।
महानदी- जोंक नदी संगम स्थल पर स्थित इस गांव की पहाड़ी पर उगे ‘औंरा धौंरा’ वृक्ष के नीचे गुरुजी ने तप किया था। इसीलिए गुरु की तपोभूमि के नाम से यह प्रसिद्ध है। फाल्गुन शुक्ल पंचमी से सप्तमी तक यहां आयोजित मेला में श्वेत वस्त्रधारी गुरू भक्त लाखों में आते है।

तपस्थली के निकट पहाड़ी जल से भरा ‘चरण कुण्ड’ हैं। ज्ञानार्जनोंपरांत घासीदास जी ने इस कुण्ड में चरण धोए थे।इसी के करीब बाबा ने जंगली जीवों की प्यास बुझाने ‘अमृत कुण्ड’ को अपनी चमत्कारी शक्ति से प्रकट किया था।जनश्रुति है इसके जलग्रहण से विविध व्याधियों-कष्टों से मुक्ति मिलती है। यहां से कुछ दूरी पर एक विशाल चट्टान      ‘छाता पहाड़’ में बाबा ने समाधि लगाई थी।

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गिरौदपुरी में गुरुजी की जीवन संगिनी के नाम से ‘सफुरा मठ’ निर्मित है।ऐसा कहा जाता है कि बड़े बेटे अमरदास खो जाने से आहत माता सफुरा ने मौन समाधि ले ली थी।तब उन्हें मृत समझकर बाबा की अनुपस्थिति में ग्रामीणजनों ने दफना दिया था। बाबा ने उन्हें नवजीवन दिया था।

सतनाम पंथी सत्य के प्रति अटूट आस्था और विजय कीर्ति का द्योतक श्वेत जैतखंभ को मानते हैं। गिरौदपुरी में 52 करोड़ से अधिक की लागत में कुतुब मीनार से सात मीटर अधिक अर्थात 77 मीटर ऊंचा जैतखम्भ
निर्मित है। वर्ष 2015 में लोकार्पित जैतखाम के ऊपर जाने के लिए दो छोर से सीढ़ियां बनाई गई हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे जैत खम्भ की खूबसूरती पूर्णिमा की रात देखने लायक होती है।

सतनाम सम्प्रदाय का एक और प्रमुख तीर्थ स्थल ‘अमरटापू’ मुंगेली -पंडरिया मार्ग पर मोतिमपुर ग्राम में स्थित है।भुरकुंड पहाड़ से उद्गमित आगर नामक नदी के तट पर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अमर टापू में तपस्यारत गुरु घासीदास के बड़े पुत्र बाबा अमरदास ने सतनाम धर्म -संदेश को प्रचारित किया था।

आलेख – विजय मिश्र “अमित”

 

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