छत्तीसगढ़

हरेली पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री निवास में बिखरा छत्तीसगढ़िया रंग, कलाकारों और युवाओं द्वारा गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति

यह त्योहार जीवन के उल्लास का प्रतीक है

AINS NEWS…. मुख्यमंत्री निवास आज हरेली के मौक़े पर पारम्परिक छत्तीसगढ़िया व्यंजनों की महक से भर गया है। हरेली पर्व में शिरकत करने वाले मेहमानों के लिए ठेठरी, खुरमी, अनरसा (अइरसा), खाजा, करी लड्डू, मुठिया और पिड़िया की प्लेट सजकर तैयार है।

हरेली तिहार में पारंपरिक लोक यंत्रों के साथ सुंदर नाचा का आयोजन हो रहा है।
पूरे परिसर में उत्सव का माहौल है।
पूरा ग्रामीण परिवेश इस सुंदर माहौल में साकार हो गया है।
कहीं सुंदर वस्त्रों में सजे राऊत नाचा कर रहे कलाकारों की रंगत है तो कहीं आदिवासी कलाकार अपने पारंपरिक लोक नृत्य करते नजर आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ का अद्भुत ग्रामीण लैंडस्केप अपनी सम्पूर्ण सांस्कृतिक सुंदरता में यहां उतार आया है।
अलग अलग तरह की धुनों में छत्तीसगढ़ी संगीत का माधुर्य अपने चरम पर है।

हरेली के मौके पर गांव का पूरा परिवेश नजर आ रहा है।
गौपालक अपने साथ जब गौवंश को लेकर चलते हैं और जिस सजधाज के साथ वे नजर आते हैं। वो यहां नजर आती है।
ये एक पूरी संस्कृति की झलक है जो अपनी खेती और पशुधन से आगे बढ़ी।
प्रकृति के प्रति अपने इस ऋण और प्रकृति की इस असीम उदारता के लिए छत्तीसगढ़िया लोग हरेली का त्योहार मनाते हैं।
यह त्योहार जीवन के उल्लास का प्रतीक है।
यह जीवन में शुभ संकल्पों को लेने का त्योहार है।
इस दिन कृषिप्रधान संस्कृति पूरी उम्मीद से आगे बढ़ती है कि उनके पूजा पाठ से अच्छी खेती होगी।
यह उल्लास का पर्व भी है। इसलिए गेड़ी है। पिट्ठूल है। और भी खेल हैं।

मलखंभ हमारी परंपरा है। यह शारीरिक फुर्ती के साथ मनोरंजन का भी अनोखा खेल है।
नारायणपुर के मलखंभ खिलाड़ियों का लोहा पूरे देश ने माना है और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार इसे आगे बढ़ाने के लिए काफी कार्य कर रही है।
आज मुख्यमंत्री निवास में जब इन खिलाड़ियों ने अपना जौहर दिखाया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।

युवा तथा बुजुर्ग समवेत रूप से राऊत नाचा में हिस्सा ले रहे हैं। दोनों ही पीढ़ियां अपनी परंपरा को बढ़ा रही हैं।


राऊत नाचा के लोकगीत हमारे लोक समाज की बुद्धिमत्ता, उत्सवप्रेम और सहज मनोरंजन के प्रति उसके आकर्षण दिखाते हैं।
हर लोकगीत अपने समय की मेधा को हमारे समक्ष रखता है।
इन लोककलाओं को बढ़ावा देकर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार इन लोकगीतों में छिपे अपने समय के दस्तावेजों और लोगों की सोच को भी सहेजने का काम कर रही है।

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