मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में पेट्रोल पंप ड्राई (सूखना) होने लगे हैं। इसका कारण पीएसयू आउटलेट्स की मांग में अचानक हुई वृद्धि है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार से एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है। इससे कई कंपनियों को घाटा हो रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल की पर्याप्त आपूर्ति है, लेकिन इस बात को माना कि पीएसयू आउटलेट्स में भीड़ के कारण देरी हो रही है और ग्राहकों के लिए प्रतीक्षा समय बढ़ रहा है।
इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसे पीएसयू विक्रेताओं ने कच्चे तेल में हो रही वृद्धि के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। वे 14-18 रुपए प्रति लीटर 20-25 रुपए के नुकसान पर डीजल बेच रहे हैं। ऐसा नुकसान जिसे निजी खुदरा विक्रेता नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल अवशोषित नहीं कर पा रहे हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के कुछ पेट्रोल पंपों में ईंधन खत्म हो गया क्योंकि निजी खुदरा विक्रेताओं के ग्राहकों यहां शिफ्ट हो गए। विशेष तौर पर डीजल खत्म हो गया।
एचपीसीएल ने एक ट्वीट में कहा कि राजस्थान में उसके पंपों में मई में पेट्रोल की बिक्री में पिछले महीने की तुलना में लगभग 41 प्रतिशत और डीजल में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि निजी कंपनियों की बिक्री में क्रमशः 10.5 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। मध्य प्रदेश में पेट्रोल की बिक्री में 40.6 प्रतिशत और डीजल की बिक्री में 46.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निजी ईंधन खुदरा विक्रेताओं में 4.3 प्रतिशत और 29.5 प्रतिशत की गिरावट आई। बीपीसीएल में भी इन राज्यों में समान मात्रा में इजाफा देखने को मिला है।
मंत्रालय ने कहा, ‘विशेष रूप से ऐसा राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में देखा गया है। ये ऐसे राज्य हैं जहां बड़ी मात्रा में आपूर्ति निजी विपणन कंपनियों से संबंधित खुदरा दुकानों द्वारा की जा रही थी और जहां आपूर्ति स्थानों यानी टर्मिनलों और डिपो से दूरी लंबी है।’ मंत्रालय ने मांग में वृद्धि के लिए कृषि गतिविधियों के कारण मौसमी उछाल, थोक खरीदारों अपनी खरीद को पेट्रोल पंपों में स्थानांतरित करना और निजी कंपनियों की बिक्री में भारी कमी के कारण उनके ग्राहकों के पीएसयू में आने को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार ने हालांकि यह नहीं बताया कि थोक खरीदार क्यों शिफ्ट हुए या निजी फर्मों द्वारा बिक्री में कमी का कारण क्या है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि पेट्रोल पंप की कीमतों में लागत के अनुरूप वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन राज्य बस उपक्रम जैसे थोक खरीदारों के लिए कीमत बढ़ गई है और इसलिए थोक खरीदारों को सीधे तेल कंपनियों से तेल लेने के बजाय पेट्रोल पंपों से भरना सस्ता लग रहा है। देश में पेट्रोल और डीजल का उत्पादन किसी भी तरह की मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त से ज्यादा है।
इस अभूतपूर्व वृद्धि ने स्थानीय स्तर पर कुछ लॉजिस्टिक्स समस्याओं को जन्म दिया है। कंपनियं का कहना है कि वह अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर रही हैं और वे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एचपीसीएल ने ट्वीट कर कहा, ‘कुछ राज्यों में खुदरा दुकानों पर पेट्रोल और डीजल की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। हम सभी को इस बात के लिए आश्वस्त करना चाहते हैं कि सभी बाजारों में निर्बाध आपूर्ति के लिए पर्याप्त पेट्रोल और डीजल स्टॉक उपलब्ध है।
हम हमेशा अपने सम्मानित ग्राहकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। घबराने की जरूरत नहीं है। बीपीसीएल ने बताया कि राजस्थान में उसके आउटलेट्स में जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की मात्रा में 63 प्रतिशत इजाफा आया है। वहीं मध्य प्रदेश में 43 फीसदी का उछाल देखने को मिला है।