भारतीय सद्भावना मंच के दौरान मुस्लिम समाज की दो टूक
ऐसे में जुमा की नमाज के बहाने पथराव करने वाले बताएं कि क्या शुक्रवार का नाम पत्थरवार रख दिया जाए? मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने वैसी मस्जिदों पर भी सवाल खड़े किए जहां खुदाई करने पर खंडित मूर्तियां

NEW DELHI: कल (बुधवार) का दिन देश के लिए ऐतिहासिक रहा। मौका था भारतीय सद्भावना मंच और बरेली के समाजसेवा मंच के द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का जिसमें बड़ी तादाद में मुस्लिम समाज ने भी शिरकत की। इस दौरान मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने हिंदुस्तान और विश्व समुदाय के सामने अनेक सवाल खड़े करते हुए मुस्लिम समाज से पूछा कि शुक्रवार का दिन इबादत का खास दिन होता है
ऐसे में जुमा की नमाज के बहाने पथराव करने वाले बताएं कि क्या शुक्रवार का नाम पत्थरवार रख दिया जाए? मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने वैसी मस्जिदों पर भी सवाल खड़े किए जहां खुदाई करने पर खंडित मूर्तियां, शिवलिंग और सनातन धर्म के प्रमाण मिलते हैं। ऐसी मस्जिदों को बुद्धिजीवियों ने अल्लाह और रसूल की तौहीन बताया।

इस अवसर पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सभ्य समाज से सवाल खड़े किए कि जुमा की नमाज के बाद पथराव और हिंसा फैलाने वाले असमाजिक तत्वों को क्या कहेंगे? क्या यह देश और अमन के दुश्मन नहीं हैं? कानपुर की पुलिस पड़ताल में यह बात साबित भी हो चुकी है कि बच्चों को कई दिनों से बिरयानी खिलाई जा रही थी और उन्हें पथराव करने के लिए पैसे भी दिए गए थे।
कानपुर पुलिस की यह पड़ताल अपने आप में रोंगटे खड़े करने वाली है कि क्या कश्मीर में जिस तरह आतंकवादी कश्मीरी अवाम और बच्चों को 500 – 500 रुपए देकर पथराव करवा रहे थे वो अब क्या देश के बाकी हिस्सों में भी बच्चों की आड़ में हिंसा और आतंक का जाल फैलाने की साजिश रच रहे हैं? मुस्लिम समाज ने ऐसे असमाजिक तत्वों पर त्वरित एवं कठोरतम कार्रवाई की मांग की।
किसी दूसरे धर्म का अनादर अल्लाह और रसूल दोनों का है अपमान:
साथ ही साथ बुद्धिजीवियों ने सवाल किया कि ऐसी मस्जिदों और इबादतगाहों में इबादत करना जायज है क्या जो नापाक हैं? बुद्धिजीवियों ने कहा कि यह ज्वलंत प्रश्न हैं जिनसे भागा नहीं जा सकता है। मुस्लिम समाज ने कहा कि किसी दूसरे धर्म का अनादर और अवहेलना करना अल्लाह और रसूल दोनों का ही अपमान है। मुस्लिम समाज ने तथाकथित मुस्लिम परस्त पार्टियों, उनके नेताओं और इस्लाम व दीन के ठेकेदारों को दो टूक संदेश दिया कि समाज को भड़काना और देश का माहौल खराब करना बंद करें।इस्लाम के ठेकेदारों ने मुस्लिमों के लिए नही खोले अस्पताल या फैक्टरी:
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के मुख्य संरक्षक व मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार और साध्वी कल्पना भी मौजूद रहे। साथ ही शहर के अतिविशिष्ट मुस्लिम समाज के अलावा महिलाओं ने भी शिरकत की।इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम समाज से पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि किसी मुस्लिम शासक या किसी मुसलमान नेता या किसी धर्म के ठेकेदार ने आपके लिए कभी कोई बड़ी यूनिवर्सिटी खोली हो जिससे आपकी शिक्षा का मयार बढ़ सके या आपको सही तालीम मिल सके? या कोई बड़ा अस्पताल खोला हो जिसमें बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज होता हो? संघ नेता ने पूछा कि क्या उन्होंने कभी कोई बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया हो या फैक्टरी लगाई हो जहां आपको रोजगार मिला हो? या फिर आपके झगड़े झंझट निपट सकें ऐसी क्या कोई कोर्ट या कचहरी खड़ी की हो जहां आपको इंसाफ मिले?
इस्लाम की दुहाई देने वाले हुक्मरानों ने मुसलमानों का किया शोषण:
इंद्रेश कुमार के सवाल के जवाब में मुस्लिम समाज ने खुल कर अपनी राय रखी। मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों की दुहाई देने वाले हुक्मरानों ने केवल मुसलमानों का शोषण किया है। उन्होंने तीखे स्वर में कहा कि देश की किसी भी मुस्लिम परस्त पार्टी और हुक्मरानों ने कभी सही मायनो में उनके लिए सोचा ही नहीं, उन्हें सिर्फ गुलाम बनाए रखा।बुद्धिजीवियों ने कहा कि मुस्लिम हुक्मरानों ने हमें सिर्फ मकबरा दिया जिसे हमने हाथों हाथ ले लिया। मुस्लिम समाज ने कहा कि अब देश बदल रहा है। अब देश हिंद से हिंदुस्तानी है। आज मुसलमान आग भड़काने वालों से सवाल पूछ रहा है।
क्या इबादतगाह को तोड़ कर बनाई गई मस्जिद में इबादत जायज ?:
कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों ने पूछा कि क्या ऐसी इबादतगाह को जायज कहा जा सकता है जो नापाक इरादों से बनाई गई हों? मुस्लिम समाज ने पूछा कि क्या किसी अन्य धर्म के इबादतगाह को तोड़ कर या नेस्तनाबूद कर मस्जिद जैसी पाक चीज बनाई जा सकती है?और गुनाहों से भरी ऐसी हरकतों से बनी मस्जिद में क्या इबादत जायज है? अगर ऐसी नापाक मस्जिदों में इबादत जायज है तो फिर इनमें दीन और इस्लाम के बड़े उलेमा और देश के बड़े मुस्लिम चेहरे माने जाने वालों ने क्या कभी वहां जाकर इबादत की है?
खुर्शीद, ओवैसी और तौकीर जैसे नेता कर रहे माहौल खराब करने की कोशिश:
मुस्लिम समाज ने यह भी जानना चाहा कि क्या कभी सलमान खुर्शीद, असदुद्दीन ओवैसी और तौकीर रजा जैसे नेता जो हमेशा इस्लाम के नाम पर देश का माहौल खराब करने की कोशिश करते रहते हैं उन्होंने कभी ऐसी इबादतगाहों में जाकर इबादत की है?और अगर की है तो कितनी बार की है? मुस्लिम समाज ने यही बात मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे इस्लाम और दीन के ठेकेदारों से भी पूछी। मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा कि मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाने वालों और ऐसी हरकतों का समर्थन करने वालों की सजा क्या हो यह देखने वाली बातें हैं।