Gujarat: पीएम मोदी बोले- मुझे मां काली मंदिर में ध्वजारोहण और पूजा-अर्चना का भी अवसर मिला
इस दौरान उनके साथ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Chief Minister Bhupendra Patel) भी मौजूद थे। पीएम मोदी (Pm Modi) ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को गुजरात (Gujarat) में पंचमहल ज़िले के पावागढ़ पहाड़ी पर पुनर्विकसित कालिका माता मंदिर (Kalika Mata Temple) का दौरा किया और मंदिर का उद्घाटन किया।
इस दौरान उनके साथ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Chief Minister Bhupendra Patel) भी मौजूद थे। पीएम मोदी (Pm Modi) ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित भी किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सपना जब संकल्प बन जाता है और संकल्प जब सिद्धि के रूप में नजर के सामने होता है। इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। आज का ये पल मेरे अंतर्मन को विशेष आनंद से भर देता है। कल्पना कर सकते हैं कि 5 शताब्दी के बाद और आजादी के 75 साल के बाद तक मां काली के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी, आज मां काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है। ये पल हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है और हमारी महान संस्कृति एवं परंपरा के प्रति हमें समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है।
आज सदियों बाद पावागढ़ मंदिर में एक बार फिर से मंदिर के शिखर पर ध्वज फहरा रहा है। ये शिखर ध्वज केवल हमारी आस्था और आध्यात्म का ही प्रतीक नहीं है! ये शिखर ध्वज इस बात का भी प्रतीक है कि सदियां बदलती हैं, युग बदलते हैं, लेकिन आस्था का शिखर शाश्वत रहता है। अयोध्या में आपने देखा कि भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है, काशी में विश्वनाथ धाम हो या मेरे केदार बाबा का धाम हो। आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं।
आज नया भारत अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ साथ अपनी प्राचीन पहचान को भी जी रहा है, उन पर गर्व कर रहा है। आज का ये अवसर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का भी प्रतीक है। अभी मुझे मां काली मंदिर में ध्वजारोहण और पूजा-अर्चना का भी अवसर मिला है। मां काली का आशीर्वाद लेकर विवेकानंद जी जनसेवा से प्रभुसेवा में लीन हो गए थे। मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं।
मेरा जो भी सामर्थ्य है, मेरे जीवन में जो कुछ भी पुण्य हैं, वो मैं देश की माताओं-बहनों के कल्याण के लिए, देश के लिए समर्पित करता रहूं। माता के दरबार का कायाकल्प और ध्वजारोहण, मैं समझता हूं कि हम भक्तों और शक्ति उपासकों के लिए इससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है। मां के आशीर्वाद के बिना ये संभव भी कहां हो सकता है। पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि जीवन में एक बार माता के दर्शन हो जाएं।
आज यहां बढ़ रही सुविधाओं ने मुश्किल दर्शनों को सुलभ कर दिया है। माताएं, बहनें, बुजुर्ग, बच्चे दिव्यांग हर कोई मां के चरणों में आकर अपनी भक्ति का, मां के प्रसाद का सहज लाभ ले सकते हैं। पंचमहल के लोगों से मेरा आग्रह है कि बाहर से जो भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आएं, उनको आप अपने राज्य के अन्य पवित्र तीर्थस्थानों पर जाने के लिए अवश्य कहिएगा। तीर्थों का ये विकास केवल आस्था का ये विषय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारे तीर्थ समाज की गतिशीलता और राष्ट्र की एकता के भी एक बड़े महत्वपूर्ण जीवंत प्रतीक हैं।
इन तीर्थों और मंदिरों में आने वाले श्रद्धालु अपने साथ कई अवसर भी लेकर आते हैं। किसी भी क्षेत्र में पर्यटन बढ़ता है तो रोजगार भी बढ़ता है, इंफ्रास्ट्रकचर का भी विकास होता है। पावागढ़ में आध्यात्म भी है, इतिहास भी है, प्रकृति भी है, कला-संस्कृति भी है। यहां एक ओर मां महाकाली का शक्तिपीठ है, तो दूसरी ओर जैन मंदिर की धरोहर भी है। यानी, पावागढ़ एक तरह से भारत की ऐतिहासिक विविधता के साथ सर्वधर्म समभाव का एक केंद्र रहा है।