छत्तीसगढ़

जिंदल स्टील वर्क़स, वेदान्ता, बजरंग पावर का नाम आया सामने, सूर्यकांत तिवारी को कमीशन के तौर पर 360 करोड़ दिए….ईडी की चार्जशीट में हुआ खुलासा

8 हजार पन्ने की चार्जशीट में कहा गया है कि तिवारी को बीच में रखकर इन उद्योगों से 360 करोड़ से ज्यादा की अवैध लेवि वसूली गई

AINS RAIPUR…ईडी ने अपनी चार्जशीट में सूर्यकांत तिवारी के खिलाफ विगत 9 दिसंबर को न्यायालय में प्रस्तुत की गई इसमें कहा गया है कि तिवारी के माध्यम से यह राशि बल्कि इससे ज्यादा की राशि निलंबित उप सचिव सौम्या चौरसिया को भेजी गई जो खुद इस समय जेल में है। सूत्रों के मुताबिक लगभग 8 हजार पन्ने की चार्जशीट में कहा गया है कि तिवारी को बीच में रखकर इन उद्योगों से 360 करोड़ से ज्यादा की अवैध लेवि वसूली गई। चार्जशीट में दावा किया गया कि महावीर एनर्जी एवं कोल वाशरी कंपनी के विशाल जैन ने तिवारी को 7 करोड़ रुपए दिए जिसे निखिल चंद्राकर और रोशन सिंह के मार्फत दिया गया जोकि तिवारी के गुर्गे माने जाते हैं।

इसी तरह जिंदल स्टील वर्क़स इस्पात स्पेशल प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी ने ट्रांजिट पास के नाम पर 25 रुपये प्रति टन के नाम पर कुल 25 करोड़ रुपये अपने उच्च अधिकारी संजय कुमार झा के मार्फत खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों को भिजवाये। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि जुलाई 2020 में बजरंग पावर लिमिटेड के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल पर भी किसी खनिज अधिकारी के द्वारा लेवी देने के लिए दबाव डाला गया। उंस समय आईएएस समीर विश्नोई ही खनिज विभाग के संचालक थे।

इसी तरह का बयान संदीप गोयल ने भी दिया है। उसने बताया कि कंपनी ने 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से कोयला की लेवि और 100 रुपए प्रति टन आयरन ओर की लेवि दी गई। इसके उच्च स्तरीय दबाव डलवाया गया। इसी  तरह का बयान अन्य उद्योगों के डाइरेक्टर्स ने भी दिए हैं। हांलांकि ऐसा करके कुल राशि कितनी दी गई, इसका पता नही चल सका। जानते चलें कि ईडी ने एक अन्य कार्यवाई करते हुए गिरफ्तार आरोपियों सौम्या चौरसिया,सूर्यकांत तिवारी, आईएएस समीर विश्नोई, सुनील अग्रवाल तथा अन्य की 152.21 करोड़ की संपत्ति को अटैच कर लिया है इसमें नकदी, जवेलरी, फ्लैट्स और कोल वाशरीज शामिल हैं।

मालूम हो कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में राज्य में 75 जगहों पर जाकर अपनी जांच पूरी की है विशेषकर रायगढ़ और कोरबा में जहां पर खनिज विभाग ने, कोल और आयरनओर को लेकर नीतियां बदली और ऑनलाइन सिस्टम से छेड़छाड़ करते हुए अवैध तरीके से ट्रांसपोर्ट परमिट बनाये गए तथा स्टेट माइनिंग आफिसर के माध्यम से लेवी उगाही को अंजाम दिया गया।

इसी मामले में आईएएस रानू साहू, आईएएस जे पी मौर्य तथा अन्य अफसर की भूमिका की जांच की जा रही है। रायगढ़, कोरबा और सरगुजा में रहे अन्य कलेक्टरों की भूमिका और उनका कार्यकाल जांच के घेरे में है। ये अफसर ईडी की अगली जांच के घेरे में आ सकते  हैं। खासकर सूर्यकांत तिवारी से हुई पूछताछ के बाद नये नाम जांच के घेरे में हैं।

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