AINS RAIPUR…सितंबर 2014 में जब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी न्यूयॉर्क के मेडिसन स्कवेयर गार्डन में एक शोमैन की तरह अपने भाषण में कह रहे थे कि “मेरे मन में सपना है कि 2022 में जब भारत के 75 साल हों तब तक हमारे देश का कोई परिवार ऐसा ना हो जिसके पास रहने के लिए अपना घर ना हो।”उस वक्त यह दावा देश ने भी सुना था दुनिया ने भी। वर्ष 2022 बीत चुका है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज भाजपा ने पीएम आवास योजना को लेकर राज्य सरकार की कथित अनदेखी को लेकर विधानसभा का घेराव किया है। जो सवाल पीएम मोदी से देश कर रहा है वह सवाल भाजपा, प्रधानमन्त्री से न करके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर रही है।
आवास योजना के लक्ष्य से बेहद पीछे केंद्र
प्रधानमन्त्री मोदी ने जब हर हिन्दुस्तानी के सर पर छत होने की बात कही थी तो दरअसल इस वादे के तहत प्रधानमन्त्री आवास योजना के माध्यम से कुल 5 करोड़ घर बनाए जाने थे। जिनमे से 3 करोड़ घर ग्रामीण क्षेत्रों में और 2 करोड़ घर शहरी क्षेत्रों में बनाए जाने थे। लेकिन आलम यह है कि आज की तिथि तक शहरी क्षेत्रों में 72 लाख 56 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 2 करोड़ 17 लाख 12 हजार 496 मकान ही बनाए जा सके हैं।
यानि कि आज भी लगभग दो करोड़ घर और बनाए जाने हैं। यकीनन जब तक यह घर बनेंगे आवासीय योजना के नए दावेदारों की एक बड़ी संख्या खड़ी हो जाएगी
छत्तीसगढ़ से था मोदी का वादा
दिलचस्प यह है कि 21 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में ही प्रधानमंत्री आवास योजना की बुनियाद रखी थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि “पांच करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके लिए आवास निर्माण आवश्यक हैं। करीब दो करोड़ शहरों में हैं और तीन करोड़ गांवों में हैं प्रधानमन्त्री ने यह भी कहा था कि मेरा सपना है कि 2022 में जब देश कीआज़ादी के 75 साल हों तो ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के पास भी अपना घर हो।”यह सपना फिलहाल सपना ही रह गया है। अब भी हिन्दुस्तान की एक बड़ी आबादी सड़को पर रहती है, पलायन बढ़ा है विस्थापन बढ़ा है अलग अलग राज्यों में भाजपा के द्वारा बुलडोजर से घर गिराने की ख़बरें तो खूब आ रही है लेकिन घरों के बनने की ख़बरें कम हैं।
भाजपाशासित राज्यों में भी हाल बुरा
ऐसा नहीं है कि पीएम आवास योजना भाजपा शासित राज्यों में बेहतर ढंग से चल रही है पडोसी मध्य प्रदेश , हरियाणा, गुजरात हर जगह शहरों में स्थिति बेहद खराब है और लक्ष्य के सापेक्ष राज्य बेहद पीछे चल रहे हैं। मध्य प्रदेश में 9 लाख 60 हजार शहरी आवासों को मंजूरी मिली है लेकिन उनमे से आज तक केवल 6 लाख 55 हजार आवास ही पूर्ण हो पाए हैं। यही हाल उत्तराखंड का है जहाँ 62 हजार से ज्यादा आवासों को मंजूरी मिली है लेकिन अब तक केवल 28,172 आवास ही पूरे हो सके हैं।
दो साल पीछे चली गई योजना
राज्यसभा में प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में 19 दिसंबर 2022 को पूछे गए सवाल के जवाब में आवास एवं शहरी मामले राज्य मंत्री कौशल किशोर ने बताया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का टारगेट वर्ष 2022 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया गया है। जिन घरों को 31 मार्च 2022 तक सेंक्शन किया गया है उनका निर्माण 31 दिसंबर 2024 तक कर दिया जाएगा। स्पष्ट है कि भाजपा सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के टारगेट को पूरा करने में फेल साबित हुई है।
बुलडोजर के दौर में
देश में घरों को जमींदोज किये जाने का आंकडा बेहद चौंका देने वाला है न्यूज क्लिक नाम की वेबसाईट हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क के हवाले से बताती है कि वर्ष 2021 में सरकार द्वारा 36,480 घरों को तोड़ा गया है। जिसकी वजह से 2,07,106 लोगों को जबरन बेदखली का शिकार होना पड़ा है। वर्ष 2022 में मात्र जनवरी से जुलाई के बीच 25,800 घरों को तोड़ा गया है जिससे 1,24,450 लोगों को बेदखली झेलनी पड़ी है। अगर वर्ष 2021 और जुलाई 2022 तक के ही आंकड़ें लें तो पाएंगे कि मात्र डेढ़ साल में 62,280 घरों को तोड़ा गया है और 3,31,556 लोगों को बेदखली का शिकार होना पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक 43,600 घरों को तोड़ा है और 2,57,700 लोगों को बेदखली झेलनी पड़ी है। यानी हर दिन 505 और हर घंटे 21 लोगों को बेदखल किया गया है। भारत में 1 करोड़ 60 लाख लोग बेदखली के साये में जी रहे हैं।