नई दिल्ली. दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से लौटते समय 25 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस का दौरा करेंगे. यह 40 वर्षों में पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री ग्रीस की यात्रा पर जाएगा, इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी आखिरी बार ग्रीस की यात्रा करने वाली भारतीय प्रधानमंत्री थीं.दरअसल पिछले एक साल में पीएम मोदी ने उन देशों का दौरा करने का फैसला किया है, जहां दशकों से भारतीय प्रधानमंत्री नहीं गए हैं.
जून में जब वह मिस्र गए, तो यह 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की अफ्रीकी राष्ट्र की यात्रा थी. इससे पहले मनमोहन सिंह 2009 में मिस्र गए थे, लेकिन वह केवल शर्म-अल-शेख शिखर सम्मेलन में शामिल होने गए थे. वहीं पिछले साल मई में, पीएम मोदी ने डेनमार्क का दौरा किया था, जो दो दशकों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय यात्रा थी. आखिरी बार अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में डेनमार्क का दौरा किया था. इस मई में, पीएम मोदी ने पापुआ न्यू गिनी का दौरा किया, जो किसी भी भारतीय पीएम की वहां की पहली यात्रा थी
हर देश अनोखा, उनके साथ रिश्तों से भारत को फायदा
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पीएम मोदी के दृष्टिकोण के बारे में बताया, “द्विपक्षीय यात्रा और वार्ता का कोई विकल्प नहीं है… इससे एक-दूसरे की स्थिति को लेकर अधिक समझ बढ़ती है और एक दूसरे के साथ तालमेल को समझा जा सकता है.” सरकारी अधिकारी कहते हैं कि, विदेश मंत्री या उपराष्ट्रपति की अग्रिम यात्राओं से जमीन तैयार की जाती है, लेकिन प्रधानमंत्री की यात्रा प्रदेय को संस्थागत बनाने में मदद करती है. इसके अलावा, कई देशों के पास पेशकश करने के लिए बहुत सारी विशेषज्ञता होती हैं, जिसका उपयोग हमारे देश की भलाई के लिए किया जा सकता है. सभी देशों में ऐसी कोई ना कोई क्षमताएं हैं.
उपेक्षित माने जाने वाले देशों के साथ संवेदना
ऐसे देशों का दौरा करके जहां दूसरों या उनके पूर्ववर्तियों ने कम दौरा किया हो, पीएम मोदी ऐसे देशों की इस भावना को भी संबोधित कर रहे हैं कि उनकी उपेक्षा की जाती रही है. अधिकारी ने कहा, “नए द्विपक्षीय साझेदार को लगता है कि भारत उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील है और वे इसकी सराहना करते हैं.”
लंबे अंतराल के बाद इन देशों की ऐसी यात्राओं में भारतीय समुदाय से जुड़ने के लिए प्रवासी जमावड़े जैसे विशेष आयोजन भी किये जा रहे हैं. जैसे प्रधानमंत्री मोदी ग्रीस में एक सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित करेंगे, इसी तरह उन्होंने मिस्र, डेनमार्क और पापुआ न्यू गिनी में भी किया था.
सोमवार को एक बयान में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और ग्रीस के बीच सभ्यतागत संबंध हैं, जो हाल के सालों में समुद्री परिवहन, रक्षा, व्यापार, निवेश और लोगों से लोगों के संबंधों जैसे क्षेत्रों में सहयोग के ज़रिए मजबूत हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा, “प्रधानमंत्री (मोदी) इन संबंधों को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री मित्सोटाकिस के साथ बातचीत करेंगे.”
मिस्र से लेकर पापुआ न्यू गिनी तक मोदी ने संबंध सुधारे
इसी तरह, पीएम मोदी का एक इस्लामिक राज्य मिस्र की यात्रा करना और मिस्र के राष्ट्रपति के साथ ऐतिहासिक अल-हाकिन मस्जिद में जाना एक सशक्त बयान था. पापुआ न्यू गिनी के पीएम का पीएम मोदी के पैर छूना भी सुर्खियों में छाया रहा. डेनमार्क के मामले में, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध 2002 के बाद से बेहतर नहीं थे, जब अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा के दौरान, डेनमार्क के तत्कालीन प्रधानमंत्री एंडर्स फोग रासमुसेन ने भारत को पाकिस्तान और कश्मीर से निपटने के बारे में आपत्तिजनक सलाह दी थी. पिछले साल पीएम मोदी की डेनमार्क यात्रा ने उस रिश्ते में सुधार किया है. 2024 से पहले पीएम मोदी की विदेश यात्राएं ऐसे और भी आश्चर्य पैदा कर सकती हैं.
ग्रीस के साथ दो हजार साल पुराना नाता
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को ग्रीस के लिए रवाना होने से पहले अपने बयान में इसे प्राचीन भूमि बताते हुए कहा कि भारत और ग्रीस जैसी दो सभ्यताओं के बीच दो हजार साल पुराना नाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं ग्रीस की अपनी यात्रा से हमारे बहुआयामी संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए उत्सुक हूं.” ग्रीस संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में मुख्य हित के मामलों पर भारत का एक मजबूत समर्थक और भागीदार रहा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए उनका समर्थन भी शामिल है.