पिछले 10 दिनों में उत्तराखंड-हिमाचल कैसे हुए तबाह? किसी का घर बर्बाद तो किसी का उजड़ा परिवार
राज्य में 10 दिनों में कम से कम 66 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग लापता हैं
AINS NEWS…जहां सर्दियों में आप बर्फबारी देखने जाते हैं, गर्मियों में ठंड का एहसास करने जाते हैं, लेकिन आज हिमाचल के ऐसे ही कई शहर बाढ़, बारिश और भूस्खलन से घायल हैं. पूरे हिमाचल में हालात ये हैं कि पहाड़ ज़मीन पर आते जा रहे हैं.
ज़मीन खिसकती जा रही है और मकान ताश के पत्तों की तरह टूट रहे हैं. ऐसे लग रहा है हिमाचल प्रदेश में हर कुछ दिन के अंतराल पर कुदरत की त्रासदी का रिपीट टेलीकास्ट हो रहा है. इससे पहले आई तबाही का सबसे ज़्यादा शिकार शिमला ही हुआ था. तेज़ बारिश के बाद सड़कों पर सैलाब बह रहा है. अब शिमला में रहने वाले हर शख़्स के अंदर अनहोनी का खौफ है. डरे हुए लोग अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं.
पिछले 10 दिनों में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश और भूस्खलन से बड़ी तबाही हुई है.इससे सड़कें, पुल और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. दोनों ही राज्यों में इस प्राकृतिक आपदा के कारण कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से हुए नुकसान का अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है, लेकिन अनुमान है कि दोनों राज्यों में इस आपदा से अरबों रुपये का नुकसान हुआ है.
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की स्थिति
उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन से सबसे ज्यादा तबाही हुई है. राज्य में 10 दिनों में कम से कम 66 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग लापता हैं. भारी बारिश से ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून, और उत्तरकाशी सहित कई शहरों में नुकसान हुआ है. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के शिमला और मंडी में पिछले सिर्फ 24 घंटे में 11 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में 10 दिनों में कम से कम 55 लोगों की मौत हो चुकी है और 10 से ज्यादा लोग लापता हैं. भारी बारिश से शिमला, मनाली, और धर्मशाला सहित कई शहरों में भूस्खलन हुआ है.
पूरे राज्य में क़रीब 550 ऐसी हैं, जिस पर कुदरत का कहर बरपा है. यानी या तो वो बह गई हैं या फिर सैलाब और भूस्खलन की वजह से बंद हैं. शिमला, मंडी, सोलन में 4 जगह पर बादल फटने की घटनाएं हुईं हैं और शिमला में बारिश ने 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. लेकिन इतनी तबाही के बाद भी अभी कुदरत का क्रोध शांत नहीं हुआ है. क्योंकि पूरे हिमाचल में मौसम विभाग ने 2 दिन का रेड अलर्ट जारी किया है.
भूस्खलन का कारण:
यहां पर क़रीब 90 फीसदी मकान 45 से 60 डिग्री की ढलान पर बने हुए हैं, लेकिन चिंता की बात ये है कि यहां जनसंख्या की वजह से पहाड़ों के एक बड़े हिस्से पर इंसानों का कब्ज़ा हो चुका है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ शिमला में पहले प्रति हेक्टेयर 450 लोगों के रहने की व्यवस्था थी, लेकिन अब यहां प्रति हेक्टेयर 2500 से 3500 लोग रहते हैं यानी एक सीमित इलाके में रहने वालों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में क़रीब 500 फीसदी बढ़ गई.
7 पहाड़ियों की चोटी पर बसे शिमला को कभी 25,000 लोगों के लिए बनाए गया था, लेकिन आज वहां 2.5 लाख से अधिक लोग रहते हैं. ये एक तरह से कुदरत के तंत्र को चुनौती देने जैसा है और अब यही कुदरत इंसानों से बगावत कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2020 से लेकर 2022 के बीच हिमाचल में भूस्खलन की घटनाओं में 6 गुना तक इज़ाफा हुआ है. पूरे राज्य में 17 हज़ार 120 क्षेत्र हैं, जिन्हें भूस्खलन के लिहाज़ से डेंजर ज़ोन कहा जाता है और इनमें से भी 675 क्षेत्र रिहाइशी इलाकों के पास हैं. इसी वजह से बिल्डिंगों के साथ लोगों की जान को भी हर वक्त खतरा रहता है.
अत्यधिक बारिश: पिछले 10 दिनों में, इन राज्यों में औसत से अधिक बारिश हुई है. इससे मिट्टी गीली और कमजोर हो गई है, जिससे भूस्खलन की संभावना बढ़ गई है.