छत्तीसगढ़

सरकार की भ्रष्ट माइनिंग नीति, 4 साल से अवैध खदान को सरकार का संरक्षण – सुरेश गुप्ता

15 दिनों से बस्तर के पूरे अंचल में रेत मुरूम की सप्लाई बंद

AINS NEWS केशव सल्होत्रा जगदलपुर…. विगत 15 दिनों से बस्तर के पूरे अंचल में रेत मुरूम की सप्लाई बंद है। बस्तर में सैकड़ो की संख्या में ट्रक, टिप्पर, हाईवा, ट्रैक्टर के पहिए थमे हुए हैं। हजारों कामगार के हाथ, ड्राइवर क्लीनर इन वाहनों में कार्य करने वाले मजदूर और इन वाहनों को मरम्मत करने वाले गैरेज और परिवहन व्यवसाय से जुड़े हजारों की संख्या की रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं।

भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने सरकार, पीसीसी अध्यक्ष सांसद दीपक बेज और कांग्रेस के विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा की बस्तर में आवश्यकता के अनुरूप वैध खदानें स्वीकृति नहीं करने से बस्तर में शासकीय निर्माण कार्य के साथ-साथ पूरे बस्तर जिले में निजी निर्माण कार्य में भी, रेत और मुरूम की आवश्यकता है जो आज नही मिल रहा है। आज जितनी मात्रा में रेत मुरुम गिट्टी की आवश्यकता है इसके अनुपात खदाने स्वीकृत नहीं है। जो खदाने स्वीकृत है उसका माइनिंग प्लान बहुत ही कम मात्रा में है। ऐसे में विगत 4 साल छत्तीसगढ़ के साथ-साथ बस्तर में भी रेत माफिया, मुरुम माफियाओं को सरकार और कांग्रेस के नेताओं का संरक्षण प्राप्त था । इनके संरक्षण में अवैध खदान संचालित होते रहे, और प्रशासन भी आंख मूंदे रहा। प्रशासन भी सरकार के भ्रष्टाचार में सहयोगी के रूप में कार्य करता रहा। अवैध माइनिंग के कारोबार से कांग्रेस के नेता फलते-फूलते रहे।

अवैध माइनिंग के चपेट में आकर चार मासूम और बड़ों ने अपनी जान गवाई। इस हृदयविदारक घटना को कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेने के पश्चात आज छत्तीसगढ़ में जो अवैध माइनिंग हो रहा था इसकी पोल खुली।
भाजपा नगर अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सारे विभाग के ठेकेदारों से सरकार ने पहले चोरी करवाई और रॉयल्टी के नाम पर भुगतान से रॉयल्टी की राशि काटी गई। यह सब जानकारी होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन और कांग्रेस के जनप्रतिनिधि सजग नहीं हुए समय रहते अवैध माइनिंग को नहीं रोका और आपूर्ति के अनुरूप खदानों की स्वीकृत नही करवाई।
गुप्ता ने कहा आज सरकार की भ्रष्ट माइनिंग नीति का खामियाजा परिवहनकर्ता, ठेकेदार और आम जनता भुगत रही है।
भाजपा नगर अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि आज कि,गरीब जनता जो किसी तरह अपनी गाढ़ी कमाई से छत की व्यवस्था कर रही है चाहे वह प्रधानमंत्री आवास ही क्यों ना हो, मध्यमवर्गीय परिवार से लेकर शहर के विकास में अपनी भूमिका निभाने वाले बिल्डर यह सारे दुगुनी दाम पर रेत और मुरूम लेने के लिए मजबूर हैं। रेत एक टिप्पर ₹6000 में मिला करता था। आज वह 12 से ₹15हजार हो गए और जो एक ट्रैक्टर रेती ₹2000 की मिलती थी आज वह 5 से ₹6000 ट्राली हो गयी। रेत मुरुम के अचानक अभाव होने से सारे विकास कार्य रुक गए हैं। हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं।

आज चुनाव सामने है तो कांग्रेस के सारे नेता घूम-घूम कर भूमि पूजन कर रहे हैं। मगर इन्हें यह भी बताना चाहिए कि जो भूमि पूजन कर रहे हैं क्या वहां कार्य प्रारंभ होने की गारंटी लेते हैं? क्या इन परिस्थितियों में इतने महंगे दाम पर जो कार्य एजेंसी ने कार्य लिया है क्या उस कार्य को गुणवत्तापूर्वक वह कर पाएंगे? इन चार सालों में सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी! इसका एक और उदाहरण पूरे छत्तीसगढ़ के साथ बस्तर में भी आवश्यकता के अनुरूप खदानों का नहीं होना स्थानीय विधायक सांसद प्रशासन और सरकार यदि तत्काल आवश्यकता के अनुरूप खदानों का संचालन नहीं करवाती है तो आने वाले समय में हजारों हजार हुए बेरोजगार हाथ परिवहन करता ठेकेदार चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाएंगे।

 

Related Articles

Back to top button