ब्रह्मलीन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज मुनिराज जी को देश व समाज के योगदान के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा- विष्णुदेव साय
श्री विद्यासागर जी महाराज का जन्म 10 अक्तूबर 1946 को बेल गावी कर्नाटक के सदलगा में हुआ
AINS NEWS….. प्रख्यात जैन संत 108 आचार्य श्रीविद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरी तीर्थ में शनिवार रात 2.35 में महाप्रयाण कर गए.
श्री विद्यासागर जी महाराज का जन्म 10 अक्तूबर 1946 को बेल गावी कर्नाटक के सदलगा में हुआ, उनका सांसरिक नाम श्रीविद्याधर था. उन्होंने समाधि 18 फरवरी 2024 को ली.
30 जून 1968 को अजमेर राजस्थान में मुनि दीक्षा ली. आचार्य पद 22 नवंबर 1972 को मिला, नाम मिला ‘विद्यासागर
आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे. वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ- साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे. यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा. पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी- प्रधानमंत्री
राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज मुनिराज जी के ब्रह्मलीन होने पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि उन्हें देश व समाज के योगदान के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा – विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री