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संसद भवन देश को समर्पित, हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

ये नया भवन… हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा

AINS NEWS…प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नया संसद भवन देश को समर्पित किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ये आज़ादी का अमृतकाल है. देश को नई दिशा देने, अनंत सपनों को, असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है. आज से 25 साल बाद, भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा. हमारे पास 25 वर्ष का अमृत कालखंड है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है.नए संसद भवन के लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं. कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं. आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है.

ये नया भवन… हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा, विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श उदाहरण है. ये सिर्फ एक भवन नहीं है… ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है. ये विश्व को भारत के दृढ संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है.

उन्होंने कहा कि आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है. इसमें वास्तू, विरासत, कला, कौशल, संस्कृति और सविंधान भी है. लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पंक्षी मोर पर आधारित है, राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है. संसद के प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद भवन ने करीब 60,000 श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया है. इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलेरी भी बनाई गई है. आज जब हम लोकसभा और राज्यसभा को देखकर उत्सव मना रहे हैं तो मुझे संतोष है कि हमने देश में 30,000 से ज़्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं. पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है.आज से 25 साल बाद, भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुलामी के बाद हमारा भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी. वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है. आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है.

उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है, Mother of Democracy भी है. भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है. हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है. इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि हमारी ये संसद ही है.

भारत के नगरों से लेकर महलों तक, मंदिरों से लेकर मूर्तियों तक भारत का वास्तु भारत की विशेषज्ञता का उद्घोष करता है. भारत का कौशल दुनिया भर से आने वाले यात्रियों को हैरान करता था लेकिन सैकड़ों साल की गुलामी ने हमसे हमारा यह गौरव छीन लिया. एक ऐसा भी समय आ गया जब हम दूसरे देशों में हुए निर्माण को देखकर मुग्ध होने लगे. 21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ भारत है. अब गुलामी की सोच को पीछे छोड़ रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था, ये हम सभी जानते हैं. पुरानी संसद में कई समस्याएं थीं इसीलिए देश को एक नई संसद की जरूरत महसूस हो रही थी. आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वो लोग कहां बैठते. इसलिए यह समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए.

 

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