छत्तीसगढ़

देखें वीडियो…आत्मानंद स्कूल तो है लेकिन जाने के लिए रास्ता नहीं, स्कूल पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है बच्चों को

क्या सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल खोलने की है या फिर वहां तक पहुंचाने के लिए पुल पुलिया बनाने की भी है

AINS NEWS (K.SHASHIDHARAN)… कोंडागांव जिले के वनांचल और पहुंच विहीन गांव कोनगुड़ में बच्चों के उज्जवल भविष्य को देखते हुए आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खोला गया लेकिन रास्ता नहीं बनाया गया तो बच्चे वहां पहुंचेंगे कैसे, लेकिन आदिवासी बच्चों में पढ़ाई की ललक ने उन्हें जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर कर दिया। स्कूल पहुंचने के बीच में बच्चों को रोजाना बारदा नदी पार करनी पड़ती है और अपने जान को जोखिम में डालना पड़ता है। बच्चों के पलकों ने बताया कि कोनगुड़ में आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खुलने से क्षेत्र के बच्चों में खुशी जरूर है लेकिन डर भी है।
बच्चे रोजाना सुबह नहा धोकर ड्रेस पहनकर स्कूल जाने के लिए निकलते तो हैं लेकिन बीच में पडने वाली नदी को देखकर मायूस भी हो जाते हैं, लेकिन क्या करें पढ़ना भी जरूरी है सो नदी पार करके वे स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल पहुंचने तक उनके ड्रेस, कॉपी, किताब सभी भीग जाते हैं और लेट होने पर शिक्षकों की डांट भी पड़ती है। इन सभी तकलीफों और खतरों का सामना यह बच्चे सिर्फ अपने उज्जवल भविष्य के लिये कर रहे हैं।

क्या सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल खोलने की है या फिर वहां तक पहुंचाने के लिए पुल पुलिया बनाने की भी है, अगर यह बच्चे आज खतरे से डर जाएं और रुक जाएं तो यह पढ़ नहीं पाएंगे…..

 

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