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डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की… भारत से आने वाले सामानों पर 26% का आयात शुल्क 9 अप्रैल 2025 से लागू होगा

विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ से भारत को सालाना 5 से 15 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है

AINS NEWS… अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि भारत से आने वाले सामानों पर 26% का आयात शुल्क यानी टैरिफ लगाया जाएगा। ये फैसला उनकी “रिसिप्रोकल टैरिफ” नीति का हिस्सा है, जिसका मकसद अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और वहां के उद्योगों को मजबूत करना है।

अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 9 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। इसके पीछे ट्रंप का तर्क है कि भारत अमेरिकी सामानों पर 52% तक टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका अब तक बहुत कम शुल्क लेता रहा है। उनका कहना है कि ये असंतुलन ठीक करना जरूरी है।

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अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में हमारा अमेरिका के साथ 119 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें 77 बिलियन डॉलर का निर्यात शामिल था। अब इस टैरिफ से कई सेक्टर पर असर पड़ने वाला है।

भारत अमेरिका को समुद्री भोजन, चावल, और फल जैसे उत्पाद निर्यात करता है। 2024 में अकेले झींगे का निर्यात 2.58 बिलियन डॉलर का था। 26% टैरिफ से ये महंगे हो जाएंगे, और इक्वाडोर जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और वियतनाम पर 34-46% टैरिफ की तुलना में भारत की स्थिति बेहतर है। फिर भी, मांग में कमी का खतरा बना हुआ है।

भारत अमेरिका को 7 बिलियन डॉलर की मशीनरी और ऑटो पार्ट्स भेजता है। नए शुल्क से कीमतें बढ़ेंगी, जिससे हमारी कंपनियों को नुकसान होगा। उत्पादन लागत बढ़ने से नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं।

भारत की जेनेरिक दवाएं अमेरिका में बहुत लोकप्रिय हैं। लेकिन 8.6% टैरिफ अंतर के साथ ये भी प्रभावित होंगी। अगर कीमतें बढ़ीं तो अमेरिकी बाजार में हमारी हिस्सेदारी कम हो सकती है।

जेम्स और ज्वेलरी उद्योग 8.5 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है। 13.3% टैरिफ अंतर से भारतीय आभूषण महंगे हो जाएंगे, जिससे कारीगरों और छोटे व्यवसायों पर असर पड़ेगा।

आईटी सर्विसेज पर सीधा टैरिफ नहीं लगेगा, लेकिन लागत बढ़ने से भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ से भारत को सालाना 5 से 15 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। अगर निर्यात में 2-3% की गिरावट आई, तो ये 30-33 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसका असर जीडीपी पर भी पड़ेगा। कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि हमारी विकास दर 0.5% तक कम हो सकती है, यानी 6% के आसपास रह सकती है।

इसके अलावा, रुपये पर भी दबाव बढ़ेगा। अगर निर्यात से कमाई घटी, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर होगा, और रुपये की कीमत गिर सकती है। छोटे और मझोले उद्यम (SMEs) सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि उनकी लागत बढ़ेगी और मुनाफा कम होगा। रोजगार के अवसर भी घट सकते हैं, खासकर ऑटो और ज्वेलरी जैसे श्रम-आधारित सेक्टर में।

भारत सरकार वाणिज्य मंत्रालय ने इसका अध्ययन शुरू कर दिया है और उद्योगों से सुझाव मांग रही है, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की बातचीत चल रही है। अगर ये जल्द पूरा हुआ, तो टैरिफ का असर कम हो सकता है। भारत अमेरिकी सामानों पर अपने शुल्क घटाने की पेशकश कर सकता है।

ट्रंप ने चीन पर 34%, वियतनाम पर 46% जैसे ऊंचे टैरिफ लगाए हैं। इससे वैश्विक व्यापार धीमा हो सकता है। सप्लाई चेन बाधित होगी, निवेश कम होगा, और महंगाई बढ़ सकती है। भारत जैसे देशों को अप्रत्यक्ष नुकसान भी हो सकता है।

 

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