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आजकल उस साधु और मंदिर की बहुत याद आ रही है…अनुपम खेर का ट्वीट, जानें पूरी बात

बूंदी के प्रसाद और मीठे चरणामृत के लिये. मंदिर के बाहर एक साधु/फकीर टाइप बार बार दोहराता था.

नई दिल्ली: डायरेक्टर लीना मण‍िमेकलई (Leena Manimekalai) अपनी फिल्म काली को लेकर विवादों में बनी हुई है. सोशल मीडिया पर लीना को खूब खरी-खरी सुनाई जा रही है. साथ ही तमाम राजनितिक पार्टियां भी उनके खिलाफ खड़ी हो गई हैं. ऐसे में अब एक्टर अनुपम खेर (Anupam Kher) ने एक दिलचस्प ट्वीट किया है. अनुपम खेर ने ट्विटर पर मां काली की एक फोटो शेयर की है. इसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘शिमला में एक बहुत ही प्रसिद्ध मां काली का मंदिर है. कालीबाड़ी. बचपन में कई बार जाता था. बूंदी के प्रसाद और मीठे चरणामृत के लिये. मंदिर के बाहर एक साधु/फकीर टाइप बार बार दोहराता था.

‘जय माँ कलकत्ते वाली… तेरा श्राप ना जाये खाली..’ आजकल उस साधु और मंदिर की बहुत याद आ रही है.’ अनुपम के इस ट्वीट के बाद माना जा रहा है कि वह लीना और उनकी फिल्म की ओर इशारा कर रहे हैं. लीना मण‍िमेकलई ने अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर में मां काली के भेष में बैठी महिला को सिगरेट पीते दिखाया था. फोटो में मां काली के हाथ में दरांती, त्रिशूल और LGBTQ+ कम्युनिटी का झंडा भी था. इस पोस्टर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा खड़ा हो गया था. लीना को गिरफ्तार करने की मांग सोशल मीडिया पर उठी थी. विवाद के बढ़ने के बाद ट्विटर ने फिल्म के पोस्टर को हटा दिया. दिल्ली और यूपी में लीना के खिलाफ मामले भी दर्ज करवाए गए हैं. इस बीच लीना मण‍िमेकलई का कहना है कि वह सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे पूरा देश एक नफरत की मशीन बन गया है

एक्टर अशोक पंडित और सेंसर बोर्ड के हेड रहे पहलाज निहलानी ने बताया कि फिल्म को सर्टिफिकेट देने के लिए किन बातों से गुजरना पड़ता है. अशोक पंडित ने बताया कि किसी भी फिल्म को थिएटर में रिलीज करने से पहले सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना ही पड़ता है, लेकिन फिल्म फेस्टिवल का मामला अलग होता है. वहीं पहलाज ने बताया कि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को लिबर्टी दी जाती है ताकि वहां के स्टैंडर्ड को मैच किया जा सके. इसी का फायदा बहुत से फिल्ममेकर्स उठाते हैं

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