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केजरीवाल ने सरकार के बाहर रहने और विधानसभा भंग करने के बजाय नया सीएम बनाने का फैसला किया, काट ढूंढने में लगी बीजेपी

सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाया जाता है तो बीजेपी परिवारवाद का मुद्दा भी उठा सकती है

AINS NEWS… अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा ने बीजेपी को भी अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अभी तक बीजेपी लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल को घेरकर उनके इस्तीफे की मांग करती आ रही थी। हाल ही में बीजेपी विधायकों ने राष्ट्रपति से मिलकर दिल्ली विधानसभा को भंग करने की मांग भी की थी। अब जिस तरह इस्तीफा देकर केजरीवाल ने सरकार के बाहर रहने और विधानसभा भंग करने के बजाय नया सीएम बनाने का फैसला किया है, उसके बाद से बीजेपी भी केजरीवाल के इस नए दांव की इसकी काट ढूंढने में लगी है।

दिल्ली की सियासत में सबसे ज्यादा गर्म मुद्दा एलजी और अफसरों के साथ आम आदमी पार्टी सरकार की खींचतान का रहा है। नया सीएम बनने के बाद वर्चस्व की इस लड़ाई के दांव-पेच भी बदल सकते हैं। चूंकि अब बीजेपी के लिए सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल को घेरना आसान नहीं होगा, ऐसे में बीजेपी अब भावी सीएम को लेकर AAP को घेरने की कोशिश करेगी।बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अगर सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाया जाता है तो बीजेपी परिवारवाद का मुद्दा भी उठा सकती है। आतिशी को सीएम बनाए जाने पर एलजी और अफसरों के साथ विवाद की स्थिति कायम रह सकती है, जिसे बीजेपी अपने पक्ष में भुनाना चाहेगी।

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बीजेपी का पूरा अमला अभी भी केजरीवाल की नई सियासी चाल की काट ढूंढने में लगा हुआ है। आप विधायक दल की बैठक में क्या फैसला लिया जाता है, फिलहाल बीजेपी की नजर उसी पर है।ऐसे में बीजेपी की कोशिश होगी कि केजरीवाल को मिली जमानत और उनके इस्तीफे के बाद भी जनता के बीच उनके लिए कोई बड़ी भावनात्मक लहर पैदा न हो। ऐसे में बीजेपी पहले की तरह ही भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक बड़ा हथियार बना सकती है और कुछ नए मामले उठाकर दिल्ली सरकार को नए सीएम की अगुवाई में अपने पांव जमाने से रोक सकती है।बीजेपी का मानना है कि आम आदमी पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए केजरीवाल की ईमानदार वाली छवि पेश करना चाहती है और इसीलिए इस्तीफे का दांव खेला गया है। इसके अलावा पार्टी कुछ बड़ी योजनाएं भी लागू करना चाहती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों की वजह से अरविंद केजरीवाल के सीएम रहते ये योजनाएं लागू करना मुश्किल हो सकता है। इसी वजह से केजरीवाल ने इस्तीफा दिया है, ताकि चुनाव से पहले लोकलुभावन घोषणाएं की जा सकें।

 

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